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सिकंदर बनाम राजा पोरस | सत्य उजागर, Alexander Vs Raja Porus | Truth Uncovered

सिकंदर बनाम राजा पोरस | सत्य उजागर, Alexander Vs Raja Porus | Truth Uncovered 



महाराज पोरस, जिन्हें राजा पुरु या पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के एक महान और पराक्रमी शासक थे। उनका साम्राज्य पुरुवास के नाम से जाना जाता था, जो वर्तमान पंजाब (पाकिस्तान) में झेलम नदी से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था। उनकी राजधानी वर्तमान लाहौर के आसपास थी।

**शासनकाल और साम्राज्य:**

* महाराज पोरस का शासनकाल लगभग 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व तक माना जाता है।
* वे पुरुवा वंश के राजा थे और उनका साम्राज्य सिंध-पंजाब सहित एक बड़े भू-भाग पर फैला हुआ था।
* उन्हें अपनी बहादुरी और दृढ़ संकल्प के लिए जाना जाता था।

**सिकंदर से युद्ध (हाइडस्पेज़ का युद्ध - 326 ईसा पूर्व):**

महाराज पोरस का नाम इतिहास में सबसे अधिक विश्व विजेता सिकंदर महान के साथ उनके युद्ध के लिए जाना जाता है।

* जब सिकंदर महान विश्व विजय के अभियान पर भारत पहुँचा, तो उसका सामना महाराज पोरस से हुआ।
* सिकंदर ने तक्षशिला के राजा आम्भी से मित्रता की थी, जो पोरस के पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी थे। आम्भी ने सिकंदर को पोरस पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
* सिकंदर ने पोरस को अधीनता स्वीकार करने का संदेश भेजा, लेकिन पोरस ने इसे अस्वीकार कर दिया और युद्ध के लिए तैयार हो गए।
* यह युद्ध 326 ईसा पूर्व में झेलम नदी (जिसे यूनानी हाइडस्पेज़ कहते थे) के तट पर हुआ। इसे "हाइडस्पेज़ का युद्ध" के नाम से भी जाना जाता है।
* यह युद्ध अत्यंत भयंकर था। पोरस के पास हाथियों की एक शक्तिशाली सेना थी, जिसने यूनानी सेना को काफी नुकसान पहुँचाया। यूनानी लेखकों ने भी पोरस की वीरता की प्रशंसा की है।
* युद्ध के परिणाम को लेकर इतिहासकारों में अलग-अलग मत हैं। कुछ यूनानी स्रोतों के अनुसार सिकंदर विजयी हुआ था, लेकिन इस जीत के लिए उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। सिकंदर की सेना को इतना बड़ा नुकसान हुआ था कि वे आगे भारत में बढ़ने से डरने लगे और व्यास नदी से आगे बढ़ने से इनकार कर दिया।
* कुछ भारतीय इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर को पोरस के हाथों करारी हार मिली थी, और यूनानी लेखकों ने सिकंदर की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए इस हार को जीत के रूप में दर्शाया।
* युद्ध के बाद, सिकंदर पोरस की वीरता और साहस से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को अपने मित्र के रूप में स्वीकार किया और उसके राज्य को लौटा दिया। कुछ स्रोतों के अनुसार, सिकंदर ने पोरस को और भी क्षेत्र दिए थे।

**पोरस का महत्व:**

* महाराज पोरस ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सिकंदर जैसे विश्व विजेता के सामने डटकर मुकाबला किया।
* उनकी वीरता और दृढ़ता ने सिकंदर को यह अहसास कराया कि भारत को जीतना आसान नहीं है।
* महाराज पोरस का यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो भारतीय राजाओं के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है।

कुल मिलाकर, महाराज पोरस एक महान योद्धा और कुशल शासक थे जिन्होंने अपनी बहादुरी से इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी।

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