आपका प्रश्न ऐतिहासिक रूप से बहुत ही गूढ़ और संवेदनशील विषयों से जुड़ा है, जिसमें भारत पर हुए इस्लामी आक्रमणों, धार्मिक हिंसा, मंदिर विध्वंस, जनसंहार और महिलाओं पर हुए अत्याचारों की बात है। साथ ही हमने डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तक **"भारत का विभाजन (Pakistan or the Partition of India)"** के संदर्भ से भी जानकारी दी है।
मैं इस विषय को दो भागों में बांटकर विस्तार से बताऊंगा:
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## **भाग 1: भारत पर हुए इस्लामी आक्रमण (हिन्दू जनसंहार, मंदिर विध्वंस और स्त्रियों पर अत्याचार)**
### **प्रमुख आक्रमणों की ऐतिहासिक झलक:**
1. **महमूद ग़ज़नवी (11वीं शताब्दी):**
* 17 बार भारत पर आक्रमण किया।
* प्रसिद्ध **सोमनाथ मंदिर** को 1025 ई. में लूटा और नष्ट किया।
* हजारों लोगों की हत्या की गई और महिलाओं को बंदी बनाया गया।
* मंदिरों से सोना, चांदी, मूर्तियाँ और धन लूट कर ग़ज़नी ले जाया गया।
2. **मुहम्मद गोरी (12वीं शताब्दी):**
* तराइन की लड़ाइयों (1191–92) में पृथ्वीराज चौहान को हराया।
* इसके बाद दिल्ली और उत्तर भारत में मुस्लिम सल्तनत की नींव पड़ी।
3. **दिल्ली सल्तनत (1206–1526):**
* इस दौर में मंदिरों का बड़े पैमाने पर विध्वंस हुआ (काशी, मथुरा, अयोध्या, कांची आदि)।
* अनेक हिन्दू महिलाओं को गुलाम बनाया गया। गुलामों की मंडियां बनाई गईं।
* सबसे प्रसिद्ध उदाहरण: **अलाउद्दीन खिलजी** द्वारा देवगिरि और चित्तौड़ के हमले।
* रानी पद्मिनी की **जौहर** की कथा इसी काल से जुड़ी है।
4. **मुग़ल काल (1526–1707):**
* **बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब** प्रमुख शासक रहे।
* विशेष रूप से **औरंगज़ेब** के काल में:
* हजारों मंदिरों को तोड़ा गया (विशेषतः काशी विश्वनाथ, केशवदेव मथुरा आदि)।
* अनेक हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया।
* महिलाओं को युद्ध के बाद बंदी बनाना एक सामान्य प्रक्रिया थी।
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## **संभावित आंकड़े (इतिहासकारों के अनुसार):**
यहाँ पर प्रस्तुत आंकड़े पूरी तरह ऐतिहासिक स्रोतों और कुछ विद्वानों की रचनाओं से हैं, लेकिन ध्यान दें कि इनके सटीक आँकड़े विवादास्पद हैं और विभिन्न स्रोतों में भिन्नता है।
| प्रकार | अनुमानित आँकड़े |
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| मारे गए हिन्दू | 2 से 8 करोड़ (8वीं सदी से 18वीं सदी तक, विभिन्न आक्रमणों में) |
| मंदिर विध्वंस | 60,000+ (राम स्वरूप, सिता राम गोयल जैसे लेखकों के अनुसार) |
| महिलाओं का अपहरण / बलात्कार | हज़ारों से लाखों (सटीक आंकड़े दुर्लभ हैं, परन्तु यह प्रचलन में था) |
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## **भाग 2: डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुस्तक - *"भारत का विभाजन" (Pakistan or the Partition of India)***
### **पुस्तक की पृष्ठभूमि:**
* यह पुस्तक 1940 के दशक में लिखी गई जब भारत में हिन्दू-मुस्लिम तनाव चरम पर था।
* अंबेडकर ने स्पष्ट रूप से मुस्लिम लीग की नीतियों और दो राष्ट्र सिद्धांत की आलोचना की।
### **डॉ. अंबेडकर के मुख्य बिंदु:**
1. **मुस्लिम शासन में हिन्दुओं पर अत्याचार:**
* अंबेडकर ने स्वीकार किया कि भारत में मुस्लिम शासन *धार्मिक सहिष्णुता* पर आधारित नहीं था।
* उन्होंने लिखा कि हिन्दुओं पर कर लगाए गए, मंदिर तोड़े गए और महिलाओं को बंदी बनाया गया।
2. **महिलाओं के साथ अत्याचार:**
* अंबेडकर ने उल्लेख किया कि मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा हिन्दू महिलाओं को युद्ध के बाद लूटा गया और दास बनाकर हरम में रखा गया।
3. **जनसंहार का उल्लेख:**
* उन्होंने यह नहीं कहा कि सभी मुस्लिम शासक अत्याचारी थे, परन्तु उन्होंने यह भी लिखा कि बहुत सारे मुस्लिम आक्रांता भारत को लूटने और धर्म परिवर्तन करने के उद्देश्य से आए थे।
4. **विभाजन के समय की हिंसा:**
* पंजाब, बंगाल और सिंध में 1946–47 में लाखों हिंदू और सिखों की हत्या, बलात्कार और जबरन धर्मांतरण की घटनाओं का वर्णन किया गया है।
* उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान का निर्माण हिन्दुओं के लिए घातक सिद्ध हो सकता है यदि उसका सही उत्तर न दिया गया।
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## **महत्वपूर्ण चेतावनी और संतुलन की आवश्यकता:**
* भारत की समावेशी संस्कृति और संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है।
* डॉ. अंबेडकर भी सांप्रदायिक सौहार्द के पक्षधर थे, और उन्होंने समानता व न्याय की बात की।
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