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गोकुल सिंह जाट एक ऐसा वीर जो मुगल साम्राज्य पर पड़ गए थे भारी | औरंगजेब की निकल गयी थी हवा, Gokul Singh Jat was a brave man who proved to be a burden on the Mughal Empire. Aurangzeb was left speechless

गोकुल सिंह जाट एक ऐसा वीर जो मुगल साम्राज्य पर पड़ गए थे भारी | औरंगजेब की निकल गयी थी हवा, Gokul Singh Jat was a brave man who proved to be a burden on the Mughal Empire. Aurangzeb was left speechless




गोकुल सिंह जाट (जिसे वीर गोकुला जाट या गोकुल देव के नाम से भी जाना जाता है) 17वीं सदी के एक वीर क्रांतिकारी थे जिन्होंने मुगल अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई:

## 🛡️ प्रारंभिक जीवन

* गोकुल सिंह का जन्म तिलपत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, आगरा के पास) में हुआ था। उनका जन्म नाम “ओला” था और वे जाट समुदाय से थे उनके पिता माडू सिंह थे और वे उस परिवार के दूसरे पुत्र थे 

## ✊ विद्रोह का नेतृत्‍व

* 1666 में, मुगल सत्ता द्वारा किसानों पर अत्यधिक कर लगाकर दमन शुरू हुआ। गोकुल ने तिलपत व आस-पास के किसान समुदाय को संगठित किया और कर देने से इंकार किया ([hi.wikipedia.org][3])।
* 1669 में उन्होंने लगभग 20,000 जाट, गुज्जर और अहीर किसानों को एकजुट कर मुगल फौजदार अब्दुल नबी ख़ाँ को सिहोरा में हराया और सादाबाद छावनी जला दी

## ⚔️ तिलपत की घेराबंदी और गिरफ्तारी

* मुगल शक्ति ने बड़ी सेना भेजी। चार दिनों तक चली लड़ाई के बाद गोकुल तिलपत क़िले में घिर गए, अंततः पकड़े गए। इस लड़ाई में हज़ारों की जानें गईं (लगभग 4,000 मुगलों और 5,000 जाटों की मौत) 

## 💔 फांसी और बलिदान

* 1 जनवरी 1670 को गोकुल सिंह को आगरा के किले में पिट-पीट कर और अंग-भंग करके मौत के घाट उतारा गया – यह सब धर्म बदलने की मंशा को न मानने पर किया गया था 
* उनका बलिदान जाट-जगत में आज भी प्रेरणा का स्रोत है, और कुछ इतिहासकार इसे स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत मानते हैं

## 📌 ऐतिहासिक महत्व

* गोकुल सिंह को मुगल विरोधी प्रारंभिक नेतृत्‍व वाला माना जाता है; उनकी लड़ाई ने बाद में भरतपुर और राजस्थान में गतिविधियों को प्रेरित किया ([facebook.com][5])।
* वे महाराजा सूरजमल के पूर्वज माने जाते हैं, जिन्होंने बाद में जाट साम्राज्य की नींव रखी 

## 🏛️ स्मृतियों में विजय

* आगरा किले के पास शाहजहां पार्क में उनकी 17‑फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जिसे 2022 में अनावरण किया गया था 
* प्रति 1 जनवरी को जाट महासभा द्वारा रक्त‑तप्त बलिदान दिवस मनाया जाता है, जब हर वर्ष श्रद्धांजलि दी जाती है

### ✅ संक्षेप

| पहलू | विवरण |
| -------------- | -------------------------------------------------------- |
| नाम | गोकुल सिंह (“ओला”) |
| स्थान | तिलपत, वर्तमान उत्तर प्रदेश |
| घटना | कृषि कर विरोध, मुगलों से लड़ाई (1666–1669) |
| मुख्य मुक़ाबले | सिहोरा, तिलपत |
| मृत्यु | 1 जनवरी 1670, आगरा; धर्म परिवर्तन इंकार, क्रूर हत्या |
| विरासत | मतान्तरण-असहिष्णुता व अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक |

वे एक ऐसे वीर का प्रतीक हैं जिन्होंने धर्मांतर और अमानवीय कराधान के खिलाफ अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनकी कहानी जाटों के साथ-साथ स्वतंत्रता आन्दोलन के शुरुआती स्वरूप में दर्ज है।

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