Ticker

99/recent/ticker-posts

पांडुरंग सदाशिव खानखोजे के साहसिक कारनामे | एक क्रांतिकारी जिन्होंने विश्व भूखमरी का समाधान किया।, Adventures of Pandurang Sadashiv Khankhoje | A Revolutionary who solved world hunger.

पांडुरंग सदाशिव खानखोजे के साहसिक कारनामे | एक क्रांतिकारी जिन्होंने विश्व भूखमरी का समाधान किया।, Adventures of Pandurang Sadashiv Khankhoje | A Revolutionary who solved world hunger.




पांडुरंग सदाशिव खानखोजे (7 नवम्बर 1883/84 – 22 जनवरी 1967) एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे—स्वतंत्रता सेनानी, क्रांन्तिकारी, कृषिविद् और इतिहासकार। वे गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य और मैक्सिको में हरित क्रांति के अग्रदूत रहे थे।

🧑🏻‍🎓 प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
महाराष्ट्र के वर्धा में मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे, उनके पिता याचिकाकार थे। 

नागपुर से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की, फिर उद्वोधन और फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वाधीनता की राह पकड़ ली। 

🌍 विदेश प्रवास एवं क्रांतिकारी सफर
जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका में उन्होंने कृषि और सैन्य प्रशिक्षण लिया—Mount Tamalpais सैन्य अकादमी में उन्हें हथियारबंद संघर्ष की रणनीति मिली। 

पार्क, कामगार और प्रगतिशील भारतीयों के साथ मिलकर इन्होंने 1913 में आई.आई.एल. (Indian Independence League) की स्थापना की और फिर लाला हरदयाल से मिलकर गदर पार्टी के निर्माण में योगदान दिया। 

💥 प्रथम विश्वयुद्ध एवं गदर–जर्मन षड्यंत्र
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान, उन्होंने तुर्की, ईरान, बांगलादेश-बालूचिस्तान में गदर क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व किया और इंडो-जर्मन षड्यंत्र में सक्रिय भूमिका निभाई।

अंततः उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर वहीं रहना पड़ा।

🌽 मैक्सिको में कृषिविद् के रूप में अभूतपूर्व योगदान
1920 के दशक में मैक्सिको चले गए, जहां उन्होंने चैपिंगो कृषि विद्यालय में बॉटनी व क्रॉप-ब्रीडिंग पढ़ाई।

मक्का व गेहूँ की नई किस्में विकसित कीं (जिनमें आनुवंशिक सुधार शामिल थे), जिससे उन्हें “Wizard of Chapingo” कहा जाने लगा। 

डिएगो रिवेरा ने मैक्सिको सिटी में एक विशाल भित्ति चित्र में उन्हें भोजन बांटते दिखाया, जिसे “Our Daily Bread” के रूप में जाना जाता है। 

उन्होंने निशुल्क कृषि विद्यालय, फसल सुधार, सोयाबीन, रबड़, दालों पर अनुसन्धान करके मैक्सिको में खाद्य सुरक्षा और उत्पादकता में बड़ा योगदान दिया। 

🏠 भारत वापसी और आखिरी वर्ष
भारत के स्वतंत्रता के बाद (1947), उनका प्रवेश वीजा बहाल हुआ। वे नागपुर वापस आकर भारतीय कृषि नीति में योगदान देने लगे और अंततः 22 जनवरी 1967 को निधन हो गया। 

🎖️ विरासत और सम्मान
गदर पार्टी के अग्रदूत, कृषिविद् और इतिहासकार के रूप में वे आज भी याद किए जाते हैं।

मैक्सिको में उनके सम्मान में प्रतिमा लगाई गई, जो 2022 में ल Speaker की उपस्थिति में अनावरण की गई। 

भारत व मैक्सिको दोनों देशों में उनकी योगदानों को पुनः स्मरण किया जा रहा है, विशेष रूप से कृषि सुधार, स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक न्याय में।
✨ संक्षेप
पुं. पांडुरंग सदाशिव खानखोजे केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि वे वैज्ञानिक, शिक्षक और वैश्विक सोच रखने वाले भारतरत्न भी थे। भारत की आज़ादी के लिए हथियारबंद संघर्ष में उनकी भूमिका तगड़ी थी, और मैक्सिको में उनकी कृषि उन्नति का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है। उनकी कहानी हमें यह दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया के दो खंडों में सक्रिय भूमिका निभाकर सामाजिक न्याय और मानव उत्थान का आदर्श स्थापित कर सकता है।

Post a Comment

0 Comments