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तानाजी की यशवन्ती गोह पर Kavi Ram Bhadawar की विलक्षण कविता | Bharat Gaurav | Kavi Sammelan

तानाजी की यशवन्ती गोह पर Kavi Ram Bhadawar की विलक्षण कविता | Bharat Gaurav | Kavi Sammelan




तानाजी मालुसरे की प्रसिद्ध गोह, जिसे यशवंती कहा जाता था, एक मॉनिटर छिपकली थी। तानाजी ने इस छिपकली का उपयोग कोंडाना किले (सिंहगढ़) की दीवार पर चढ़ने के लिए किया था। यशवंती ने किले की दीवार पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई और उस पर बंधी रस्सी के सहारे सैनिक दुर्ग की दीवार पर चढ़ने में कामयाब रहे. 
यह कहानी प्रसिद्ध है कि तानाजी ने यशवंती को किले की दीवार पर फेंका, लेकिन वह वापस लौट आई। फिर तानाजी ने उसे फिर से फेंका, और वह फिर से वापस आ गई। गुस्से में, तानाजी ने कहा कि अगर वह फिर से लौटी तो वह उसे मार डालेंगे। तीसरी बार, यशवंती ने दीवार पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई और तानाजी और उनके सैनिकों ने किले पर चढ़ाई की. 
यशवंती के बलिदान के कारण, तानाजी और उनके सैनिक किले पर चढ़ने में सफल रहे और मुगलों से लोहा लिया, लेकिन इस प्रक्रिया में यशवंती भी वीरगति को प्राप्त हुई. 

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