कश्मीर सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड इतिहास ने जिसे भुला दिया, Kashmir Emperor Lalitaditya Muktapid whom history has forgotten
ललितादित्य मुक्तापीड (शासनकाल 724-761 ईस्वी) कश्मीर के कार्कोट राजवंश के एक अत्यंत प्रतापी और दूरदर्शी हिन्दू सम्राट थे। उन्हें भारतीय इतिहास के महानतम योद्धाओं और प्रशासकों में से एक माना जाता है, जिन्होंने अपने राज्य को एक विशाल साम्राज्य में बदल दिया। उनके बारे में मुख्य जानकारी कल्हण की प्रसिद्ध कृति "राजतरंगिणी" से मिलती है।
पृष्ठभूमि और शासनकाल:
ललितादित्य मुक्तापीड कार्कोट राजवंश के तीसरे शासक थे, जिसकी स्थापना दुर्लभवर्धन ने 7वीं शताब्दी के मध्य में की थी। ललितादित्य का शासनकाल 724 ईस्वी से 761 ईस्वी तक रहा। इस दौरान कश्मीर उत्तरी भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बन गया था।
दिग्विजय अभियान और साम्राज्य का विस्तार:
ललितादित्य को उनकी सैन्य सफलताओं के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। उन्होंने अपने दिग्विजय अभियानों से एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया, जिसके कारण उन्हें "भारत का सिकंदर" भी कहा जाता है।
- अरबों और तिब्बतियों पर विजय: उन्होंने अरब के मुस्लिम आक्रमणकारियों को सफलतापूर्वक हराया और तिब्बती सेनाओं को भी पीछे धकेला। यह उस समय की एक बड़ी उपलब्धि थी जब अरब अपनी शक्ति का विस्तार कर रहे थे।
- कन्नौज पर विजय: उन्होंने कन्नौज के शक्तिशाली राजा यशोवर्मन को भी पराजित किया। यह विजय उनके सैन्य कौशल का एक महत्वपूर्ण प्रमाण था।
- विस्तृत साम्राज्य: ललितादित्य का साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर पूर्व में बंगाल तक, दक्षिण में कोंकण (दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र) तक, पश्चिम में तुर्किस्तान (मध्य एशिया) तक, और उत्तर-पूर्व में तिब्बत तक फैला हुआ था। उन्होंने काराकोरम पर्वत श्रेणियों के पार तिब्बत के पठार से आगे चीन तक और पश्चिम में कैस्पियन सागर तक अपने प्रभाव का विस्तार किया था।
- चीन के साथ संबंध: उन्होंने चीनी शासक के दरबार में 733 ईस्वी में एक दूत मंडल भेजा था। कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने चीन के साथ एक सैन्य-रणनीतिक समझौता भी किया था ताकि दरद क्षेत्र में चीनी सेना की तैनाती की जा सके और बाहरी खतरों से निपटा जा सके।
कला, वास्तुकला और संस्कृति के संरक्षक:
ललितादित्य केवल एक कुशल योद्धा ही नहीं थे, बल्कि कला, वास्तुकला और संस्कृति के भी महान संरक्षक थे। उन्होंने अपने शासनकाल में अनेक भव्य भवनों, मंदिरों, मठों और मूर्तियों का निर्माण करवाया, जिनमें से कई के अवशेष आज भी कश्मीर में देखने को मिलते हैं।
- मार्तंड सूर्य मंदिर: उनके द्वारा निर्मित सबसे प्रसिद्ध स्मारक अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर है। यह मंदिर सूर्य देवता मार्तंड को समर्पित था और अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध था। इस मंदिर की वास्तुकला में गांधार, गुप्त और चीनी शैलियों का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है। यद्यपि यह मंदिर अब खंडहर हो चुका है (जिसे बाद में मुस्लिम शासक सिकंदर शाह मिरी द्वारा नष्ट कर दिया गया था), फिर भी इसके अवशेष ललितादित्य के कला प्रेम और इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण देते हैं।
- परिहासपुर नगर की स्थापना: उन्होंने परिहासपुर नामक एक नए नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया। इस नगर में उन्होंने परिहासकेशव (रजत), मुक्ताकेशव (स्वर्ण), महावराह (स्वर्ण), श्री गोवर्धन (रजत) और बृहद् बुद्ध (ताम्र) की भव्य प्रतिमाओं का निर्माण करवाया। उन्होंने कश्मीर में एक उन्नत नहर व्यवस्था का भी निर्माण कराया था।
व्यक्तित्व और शासन प्रणाली:
ललितादित्य मुक्तापीड एक कुशल प्रशासक और प्रजापालक शासक थे। उन्होंने युद्ध क्षेत्र में अधिकतर समय बिताने के बावजूद, राज्य में निर्माण कार्यों और सांस्कृतिक विकास को कभी उपेक्षित नहीं किया। उनकी दूरदर्शिता और सैन्य रणनीति ने कश्मीर को उस समय उत्तरी भारत के सबसे शक्तिशाली राज्यों में से एक बना दिया।
संक्षेप में, ललितादित्य मुक्तापीड एक ऐसे सम्राट थे जिन्होंने अपनी सैन्य शक्ति, राजनीतिक बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक संरक्षण के माध्यम से कश्मीर के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। उनकी उपलब्धियां उन्हें भारतीय इतिहास के महानतम शासकों की श्रेणी में ला खड़ा करती हैं।
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