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हिंदुओं पर अत्याचार कभी बड़ा मुद्दा क्यों नहीं बन पाता?


 

विश्व में हिंदुओं की स्थिति का यह ह्रदय 

विदारक चित्र बांग्लादेश में मंदिर बनवा 

रहे छह सगे भाइयों की ट्रक चढ़ा कर हत्या 

कर दी गई ऑटो में बैठे यह छह महिलाएं 

उन्हीं की विधवा भारतीय उपमहाद्वीप में 

जारी संघर्ष में छह नाम और जुड़ गए थे 

कि बांग्लादेश तुम मजबूत चंगुल में है 

भारत में भी स्थिति इससे कुछ अलग नहीं है 

वह भारत में होते तो भी इसी तरह से मारे 

जा सकते थे थे 

कि भारत में उनकी कहीं कोई चर्चा नहीं 

होती है अखबार और चैनल उनके मरने का 

समाचार नहीं दिखाते वहीं सरकार या मानव 

अधिकार संस्था खून की बर्बर हत्या पर 

चिंता नहीं जताती वास्तव में हिंदुओं का 

कोई मानवाधिकार है ही नहीं मरना उनकी 

नियति है आज से नहीं 1000 वर्ष से से हुआ है 

24 घंटे में सरस्वती विसर्जन के लिए जाते 

समय रूपेश कुमार पांडे को मजहबी फिर ने 

मौत के घाट उतार दिया है भाजपा को छोड़ 

दें तो कोई सेक्युलर पार्टी उसके परिवार 

वालों से हाल पूछने तक नहीं गई तब और इस 

चूर्ण के लिए महीनों तक छाती पीटने वाले 

भारतीय मीडिया ने रूपेश की हत्या का 

समाचार भी शायद कर दिया 

गुजरात में किशन भरवाड कुछ सिर्फ इसलिए 

मारा गया क्योंकि उसने भगवान कृष्ण को 

श्रेष्ठ कहने की हिम्मत करती थी शिवलिंग 

पर पेशाब करने वाले आसिफ को थप्पड़ मारने 

का समाचार कई दिन तक देश की सबसे बड़ी खबर 

रहा है लेकिन कृष्ण भगवान की हत्या की 

कहीं कोई चर्चा नहीं मिलेगी 

कर दो कि तमिलनाडु में लावण्या सिर्फ 

इसलिए मौत के मुंह में धकेल दी गई क्योंकि 

वह अपना धर्म छोड़कर ईसाई बनने को तैयार 

नहीं हुई तमिलनाडु की सरकार और पूरा 

सेक्युलर तंत्र खुलकर हत्यारे इसाई 

मिशनरियों के साथ खड़ा है है 

जो मीडिया हर समाचार में दलित का एंगल 

घुसा देता है उसने दिल्ली में इरफान के 

हाथों मारे गए हीरालाल की जाती छिपा ली 

ताकि भीम एकताबद्ध आंच न आने पाए 

दिल्ली में दंगे हुए थे हिंदुओं के 

विरुद्ध लेकिन अदालत ने सबसे पहले सजा 

सुनायी उस दिनेश यादव को जिसने हाथ में 

रक्षा में हथियार उठाया था जबकि दंगों के 

असली षड्यंत्रकारियों की ज़मानत पर 

प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई हो रही है 

में हिंदुओं पर ऐसे ढेरों अत्याचार 

प्रतिदिन हो रहे हैं लेकिन एक समाज के तौर 

पर हम क्या कर रहे हैं आधी से अधिक लोग आज 

भी सिकुलरिज्म के नशे में है और उन्हें 

अपने ही चारों ओर लगी आग दिखाई नहीं दे 

रही दूसरा दृष्टि हिंदुओं का वह नेतृत्व 

है जो आज भी मजा भी पीड़ितों के साथ 

सह-अस्तित्व का सपना देखता है हुआ है 

कि हमारा इतिहास भरा पड़ा है जब हिंदुओं 

की ओर से कोई टूटकर दुश्मन के साथ मिल गया 

इसका एक मात्र कारण है कि हिंदुओं ने अपने 

तारों को दंडित करना बंद कर दिया इतना ही 

नहीं उसे ग्रहण करना चाहे कहीं सम्मान न 

मिले ऐसा वातावरण बनाना भी बंद हो गया इसी 

का परिणाम है कि देश में हर दूसरे दिन 

हिंदू होने के कारण लोगों को माना जा रहा 

हो वह क्लासरूम में बोर कहा और हिजाब 

पहनने के अधिकार पर राष्ट्रीय बहस चल रही है 

तो एक सामान्य व्यक्ति के रूप में हम क्या 

कर सकते हैं कर दो 

कि फल-सब्जियों से लेकर हर छोटा-बड़ा 

सामान बहुत सोच समझकर और पहचान पक्की करके 

खरीद लें वैसे भी आप नहीं चाहेंगे कि 

खाने-पीने की चीजों में रुका हुआ वह 

इलेक्ट्रिशियन लांबा बढ़ाई और लोहार जैसे 

सारे काम आस्था के आधार पर लगाएं थोड़े 

महंगे हो तब भी थोड़े अनरिलायबल हो तब भी 

थोड़ी कम गुणवत्ता दें तब भी समय पर कामना 

करते हो तब भी 

हर उस व्यक्ति और समूह का बहिष्कार कीजिए 

जो अपने समाज धर्म और देश पर पूर्ण दृष्टि 

रखता है लाइफ साइकिल कॉस्ट की अवधारणा को 

जानिए ऊपर लिखित हर वस्तु या सेवा की आज 

की कीमत नहीं है अपने पूरे जीवन और बच्चों 

के जीवन के सारे खर्चों से तुलना करें 

आपके मकान का मूल्य करेगा यह बड़े का यहां 

की बिजली महंगी या अनरिलायबल होगी या नहीं 

होगी आप क्षेत्र में डॉग कि यह पलायन कर 

जाएंगे बच्चों को नौकरी मिलेगी या नहीं 

मिलेगी तो वेतन कितना होगा सब इस पर 

निर्भर करेगा कि आज आपने घर का नल किससे 

ठीक कराया या आप फल सब्जियां किससे खरीदते 

हैं।





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