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इस्लामी आक्रमण, हिंदू प्रतिरोध और अहिंसा।


 

नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर 

शिक्षा और शोध का एक ऐसा केंद्र जिसकी 

तुलना आज भी नहीं मिलती 12वीं शताब्दी में 

मात्र 200 घुड़सवारों के साथ एक लुटेरा 

आया और मानव सभ्यता की अनमोल धरोहर को 

पूरी तरह तहस-नहस कर गया उस लुटेरे का नाम 

था बख्तियार खिलजी हुआ है 

कि नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 

सहस्त्रों छात्र और उनके अध्यापक मार डाले गए 

विश्वविद्यालय के नार्मल जिला पुस्तकालय 

को आग लगा दी गई कहते हैं वहां इतनी 

पांडुलिपियां रखी हुई थी कि पूरे 3 महीने व्यक्ति थी 

विश्वविद्यालय नालंदा में भी भारी नरसंघार 

हुआ लेकिन बख्तियार खिलजी को कहीं भी 

प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा सकते थे 

वह मार दिए गए आसमानी किताब के अनुसार सभी 

पुरुष मार दिए गए जबकि महिलाएं बलात्कार 

की गई फिर भी किसी ने हत्यारों को रोकने 

के लिए नहीं 

में नालंदा बिहार का पूरा क्षेत्र धर्म के 

प्रभाव में आ चुका था 

कि बौद्ध धर्म की सबसे प्रमुख शिक्षा है 

अधीन सा अर्थात किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुंचाना है 

का अस्त्र शस्त्र रखने से ना बनाने या 

शत्रु के प्रतिकार का तो प्रश्न ही नहीं उठता 

नालंदा में बख्तियार खिलजी ने जो चाहा वह 

किया लगभग साढे सात सौ वर्ष तक भारतीय 

ज्ञान का गौरवमई प्रति एक मात्र कुछ दिनों 

में खंडहर बन गया हजारों वर्षों की तपस्या 

से ज्ञान का जो भंडार बटोरा गया था वह राख 

में बदल चुका था 

परंतु यही बख्तियार खालजी जब बिहार से 

आगे असम में मंदिरों को तोड़ में पहुंचा 

तो परिस्थितियां बिल्कुल अलग थी असम में 

बौद्ध धर्म का कोई प्रभाव नहीं था वहां 

हिंदू धर्म फल-फूल रहा था बख्तियार खिलजी 

और उसकी सेना को ईंट का जवाब पत्थर से 

मिलान मृत्यु सामने देखकर उसने कामरूप 

मंदिर में शरण ली थी पास इतिहासकार गोलाम 

हुसैन हलीम ने अपनी पुस्तक में बताया है 

कि कैसे असम की महिलाओं ने बख्तियार खिलजी 

को रस्सियों से बांधकर पूरे नगर में घसीटा 

था अंत में उसे कुत्ते की मौत मार दिया 

गया था कर दो 

कि दादा की कायरता और असम की वीरता की 

कहानी उदाहरण है 

के बाद चीन भारत में जिन जिन स्थानों पर 

बौद्ध धर्म का प्रभाव अधिक रहा कालांतर 

में वे सभी इस्लाम का ग्रास बन गए या तो 

मार दिए गए या खतना करवाना पड़ा अहिंसा की 

शिक्षा में कुछ भी अनुचित नहीं है लेकिन 

यह मानवों के लिए है बख्तियार खिलजी ने 

जिस आसमानी किताब के आदेश पर नालंदा 

विश्वविद्यालय को नष्ट किया वह किताब आज 

भी है उसे पढ़कर लाखों-करोड़ों बख्तियार 

खिलजी पैदा हो रहे हैं मौका मिलते ही वह 

हमला करते हैं यह हमें और आपको तय करना है 

कि नालंदा के बौद्ध भिक्षुओं की तरह जीना 

चाहते हैं असम के हिंदू वीरों की तरह 

जिन्होंने तलवार की धार पर धर्म और समाज 

की रक्षा की है 

अब आधे है 

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