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मजहबी समुदाय का सच क्यों छिपाता है मीडिया?




इजिप्ट की राजधानी काहिरा के तहरीर 
स्क्वायर आपको याद होगा यहीं पर हुस्नी 
मुबारक की सरकार के विरोध में कई दिन शख्स 
आंदोलन चला था इसे अरब स्प्रिंग के नाम से 
जानते हैं वह वामपंथियों का आंदोलन था कहा 
गया कि इजिप्ट की जनता उदारवादी शासन 
चाहती है 
तहरीर चौक पर हो रहे प्रदर्शनों को कवर 
करने गईं अमेरिकी चैनल सीरियसली पत्रकार 
लारा लोगान 
बचपन से उन्हें शायद यही बताया गया था कि 
सभी लोग तो बड़े बेचारे और विक्टिम होते 
हैं पूरी दुनिया उन्हें सता रही है उन्हीं 
का असर दिखाने के लिए लारा लोगान भीड़ में 
घुस गई भाई जानू ने दबोच लिया पूरे 30 
मिनट तक पॉल के चंगुल में रही कि उसके 
शरीर के हर अंग से बलात्कार किया यह सब 
हमारे नहीं लारा लोगन किसी साथी कैमरामैन 
ने दौड़ पुलिस को बुलाया तब जाकर किसी तरह 
उसकी जान बच पाई 
कई सप्ताह तक वह अस्पताल में भर्ती रही 
लेकिन सीबीएस चैनल नेटवर्क इस समाचार को 
कई दिनों तक दबाए रखा कि कहीं इससे अरब 
स्प्रिंग बदनाम ना हो जाए तो 
2009 
में डिस्ट्रक्शन 
मैं 16 दिसंबर 2019 दिल्ली में नागरिकता 
कानून के विरुद्ध आंदोलन के दौरान एक 
समाचार चैनल की पत्रकार को जामिया के बाहर 
भाई जानने घेरे में ले लिया था उसके बाद 
वही सब शुरू हुआ था जो तहरीर स्क्वायर पर 
हुआ था 
साथी पत्रकार वहां नहीं होते तो न जाने 
क्या क्या हुआ होता 
मीडिया ने इस घटना को ऐसे दबा दिया था 
मानो कुछ हुआ ही न हो 
नई 
दिल्ली के जहांगीरपुरी में जो मीडिया 
दंगाइयों की पीड़ा दिखाने के लिए पहुंची 
थी उनकी महिला पत्रकारों के साथ भी 
छेड़खानी और दुर्व्यवहार के समाचार 
11 अगस्त 2018 को मुंबई के आजाद मैदान पर 
हिंसा हुई 
अनुसार में रोहिंग्या मुसलमानों पर कथित 
अत्याचार के विरुद्ध एक प्रदर्शन था थोड़ी 
ही देर में पत्रकारों और पुलिसवालों पर 
हमले शुरू हो गए निशाना बनी महिला 
कांस्टेबिल फॉर रिपोर्टर पुलिस तो दुश्मन 
है जिन महिला पत्रकारों पर हमले हुए 
उन्हें कुछ एनडीटीवी और आज तक जैसे हिंदू 
विरोधी न्यूज़ चैनलों के गीत 
कि किसी चैनल नहीं समाचार नहीं दिखाया 
किसी ने नहीं बताया कि प्रदर्शन के नाम पर 
उनकी भी महिला सहकर्मियों के साथ क्या 
किया गया 
आप सब को यह चिंता थी कि मजहबी समुदाय के 
सामूहिक चरित्र का सबको पता चल जाएगा हुआ 
है 
एक समाचार छिपाने का यह सारा का आप इस नाम 
पर होता है इससे इस्लामोफोबिया फैल जाएगा 
कि एक घटना के कारण पूरा समुदाय बदनाम 
होगा लेकिन यह भारत और विश्व के वामपंथी 
मीडिया की रणनीति का हिस्सा है 
और इजिप्ट की घटना के समय कहा गया था कि 
वह आंदोलन उदार मुसलमानों का है लेकिन 
परिणाम क्या हुआ 
इसी आंदोलन से मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा 
कट्टरपंथी संगठन पैदा हुआ था 
कि 
मुंबई की मीडिया झूठ हमें प्रतिदिन पिलाता 
है अक्सर स्वयं भी उस पर विश्वास करने 
लगता है 
कि उस सच में मानने लगता है कि भाई जान 
बहुत सताए जा रहे हैं 
यही मान सकता है जिसके कारण कोई अखबार 
हिंदू लड़की की हत्या करने वाले का नाम 
बदलकर मोहम्मद शाहिद से साहिर कुमार करते 
हैं किसी बलात्कारी मौलवी को पंडित बता 
देता है और मदरसे में यौन शोषण के समाचार 
में उसे बेद पाठशाला रखता है 
हुआ है 
ए सेकुलर मीडिया उनके संपादक जरूर शेयर 
करें उन्हें कोई रोक नहीं सकता लेकिन कम 
से कम सभी आबादी वाले मोहल्लों में महिला 
पत्रकारों को ओला भेजे हैं।

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