प्रताप सिंह बारहठ | एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी की अनकही कहानी, Pratap Singh Barhath | The Untold Story of a Brave Freedom Fighter
कुंवर प्रताप सिंह बारहठ (24 मई 1893 – 7 मई 1918) एक वीर राजस्थानी क्रान्तिकारक थे, जिन्होंने 1912 के प्रसिद्ध दिल्ली षड्यंत्र कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
🏰 पृष्ठभूमि एवं प्रारंभिक जीवन
जन्म हुआ था उदयपुर में एक चारण कुल में, उनके पिता थे थाकुर केसरी सिंह बारहठ, जो राजपूताना में प्रख्यात क्रांतिकारी, लेखक और शिक्षा प्रेमी थे
प्रारंभिक शिक्षा उदयपुर, कोटा, अजमेर में हुई; बाद में चेतनात्म क्रांतिक दिशा हेतु उन्होंने ‘वर्धमान पाठशाला’, जयपुर/इंदौर में क्रांतिकारी शिक्षा ग्रहण की ।
इनकी क्रांतिकारी गतिविधियों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले थे रास बिहारी बोस
🇮🇳 दिल्ली षड्यंत्र (1912)
23 दिसंबर 1912 को लार्ड हार्डिंग की शाही यात्रा के दौरान, उनके चाचा जोरावर सिंह बारहठ ने बम फेंके; उस समय प्रताप भी उनके साथ थे
प्रताप के साथ की योजना ने ब्रिटिश सरकार को झकझोर दिया, लेकिन प्रताप गिरफ्तार कर लिये गए ।
⚖️ मुकदमा और जेल जीवन
उन्हें ‘बनारस षड्यंत्र केस’ में शामिल किया गया और पाँच वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाइ गई
बरेली सेंट्रल जेल में कठोर यातनाएँ सहन करनी पड़ीं — उन्हें बर्फ, मिर्च, मार-पीट, भूख-प्यास एवं तमाम अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ा
जेल अधिकारियों ने उन्हें साथियों के नाम देने की पेशकश की — माफ़ी, आज़ादी, परिवार की संपत्ति आदि की गारंटी दी गई। लेकिन प्रताप ने कहा:
“मैं अपनी एक माता को हंसाने के लिए तैंतीस करोड़ पुत्रों की माताओं को नहीं रुला सकता।”
🕊️ शहादत
7 मई 1918 (या कुछ स्रोतों के अनुसार 24 मई) को 25 वर्ष की अवस्था में इन्होंने बरेली जेल में भारतीय स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का सर्वोच्च बलिदान दिया
आज उनका बलिदान उन क्रांतिकारियों की याद दिलाता है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की दमनात्मक नीतियों के सामने एक फौलादी संकल्प दिखाया।
⚱️ स्मारक एवं विरासत
बारहठ परिवार की हवेली, शाहपुरा (भीलवाड़ा, राजस्थान) में अब एक राष्ट्रीय संग्रहालय बन चुकी है जहाँ परिवार के हथियार व सामग्रियाँ प्रदर्शित हैं
हर वर्ष 23 दिसंबर को दिल्ली षड्यंत्र की स्मृति में 'शहीद मेला' आयोजित किया जाता है, जिसमें गाँव में बारहठ भाइयों का श्रधांजलि स्वरूप आयोजन होता है
दिल्ली विधानसभा की दीवारों पर उनके और उनके परिवार के चित्र प्रदर्शित हैं
श्री प्रताप सिंह बारहठ सरकारी कॉलेज, शाहपुरा में स्थापित है, जो उनकी स्मृति को जीवंत रखता है
✍️ प्रसिद्धि
उनके बलिदान व साहस की प्रेरक कथाएँ राजस्थान की माध्यमिक पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाई जाती हैं ।
कई कवियों ने उनकी वीरता को दोहों में अलक्षित किया; उनका जीवन उनके चमत्कारिक साहस का सबूत है ।
प्रताप सिंह बारहठ का संकल्प, त्याग और विस्थापन आज भी हमें प्रेरित करता है। उनका जीवन उस उत्कृष्ट साहस की मिसाल बन चुका है
0 Comments