सगत सिंह की वीर गाथा: वह व्यक्ति जिसने 3 देशों को भारत के पैरों पर लाकर रख दिया, Heroic Saga Of Sagat Singh: Man Who Brought 3 Countries To India’s Feet
लीफ़्टेनेंट जनरल **सगत सिंह**, PVSM (14 जुलाई 1919 – 26 सितंबर 2001), भारतीय सेना के एक अद्वितीय और बहुआयामी कमांडर थे, जिनका नाम आज भी वीरता और रणनीतिक दूरदर्शिता का पर्याय है।
## 🏠 प्रारंभिक जीवन
* राजस्थान के कुशुंदेसर (चूरू, वर्तमान में) में ब्रजीलाल सिंह राठौड़ और जादाओ कंवर के घर जन्मे। उनके पिता प्रथम विश्व युद्ध के सैनिक भी रह चुके थे ([fairobserver.com][1])।
* 1938 में शिक्षा पूर्ण कर वे बीकानेर राज्य की सेना (गंगा रीसाला) में नायक के रूप में शामिल हुए। फिर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कमीशन प्राप्त कर उन्होंने इराक और मिडिल ईस्ट में सेवा की ।
## 🎖️ सैन्य करियर
### गोवा मुक्ति (1961)
ब्रिगेडियर रहते हुए उन्होंने 50वीं पैराट्रूप ब्रिगेड का नेतृत्व किया। “ऑपरेशन विजय” में, उनका बल पोंडा, पंजीम पर पहले पहुंचा और स्ट्रेटेजिक लैंडिंग की। 19 दिसंबर 1961 को आयोजित परेड में तिरंगा फहराया गया ।
### नाथू ला–चो ला युद्ध (1967)
मेजर जनरल रहते, उन्होंने नाथू ला में पीछे हटने से इंकार कर दिया और चीनी सेना को निर्णायक शिकस्त दी। उन्होंने सदैव उच्च कमान को सामरिक दृष्टि समझा कर यह आदेश दिया — भारतीय सेना की इस “ब्लडी नोज़” लड़ाई ने 1962 की हार की कुरसी को झटका दिया ।
### मिजोरम उग्रवाद (1967–70)
वो मिजोरम में GOC 101 कम्युनिकेशन ज़ोन होकर गृहमचीनी सैन्य एवं सामाजिक रणनीतियों के जरिए उग्रवाद को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल रहे । इन्हीं कार्यों के लिए उन्हें जनवरी 1970 में **परम विशिष्ट सेवा पदक (PVSM)** से सम्मानित किया गया
## 🇧🇩 बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971)
* दिसंबर 1970 तक लेफ्टिनेंट जनरल पद पर रहते हुए उन्हें IV कोर का नेतृत्व सौंपा गया ([en.wikipedia.org][2])।
* उन्होंने मेघना नदी पार करने के लिए प्रथम हेलिबोर्न ऑपरेशन (सिलहट) का उपयोग किया, जिसके बाद IV कोर का एक तेज़ मार्च डैका तक पहुंचा ।
* इसी चाल से पाकिस्तानी सेनाओं ने आत्मसमर्पण किया और 93,000 बंदी बने। उन्हें कूटनीतिक और सैन्य उत्कृष्टता के लिए **पद्म भूषण** से सम्मानित किया गया ।
## ✅ युद्ध कौशल एवं मूल्य
* साहसिक रणनीतिकार: नाथू ला में पीछे न हटना, डैका के लिए हेलिबोर्न रैपिड रिप्लाई की योजनाएँ।
* आगे से नेतृत्व: मोर्चों के पास ही रह कर सैनिकों को प्रेरित करना।
* गैर-परंपरागत दृष्टिकोण: अपने अंतर्ज्ञान पर भरोसा रखकर सेना के परंपरावादी आदेशों से ऊपर कदम उठाना ।
## 🏅 पुरस्कार और मान्यता
| पुरस्कार | वर्ष | कारण |
| --------------------------- | ---- | ------------------------------------------------------------- |
| परम विशिष्ट सेवा पदक (PVSM) | 1970 | मिजोरम वासियोद्ध व अन्य सेवाओं के लिए ([tribuneindia.com][3]) |
| पद्म भूषण | 1972 | 1971 की बांग्लादेश मुक्ति के लिए |
## 🌇 व्यक्तिगत जीवन और उत्तराधिकारी
* 1947 में विवाह, चार पुत्र; दो सैनिक बने। दुखद रूप से दोयों की अल्पायु मृत्यु।
* सेवानिवृत्ति के बाद जयपुर में ‘मेघना’ नामक आवास में रहे।
* 26 सितंबर 2001 को देहांत हुआ
## 📚 पढ़ने लायक पुस्तक
* **A Talent for War: The Military Biography of Lt Gen Sagat Singh** —Gen Randhir Sinh द्वारा लिखी गयी, यह किताब उनकी सैन्य काबिलियत और असाधारण जीवन का शानदार दस्तावेज़ है
## ✨ निष्कर्ष
ली. जनरल सगीत सिंह एक जनरल थे जिन्होंने कभी हार नहीं मानी—गोवा मुक्ति, नाथू ला में दृढ़ता और डैका तक का साहसिक मार्च उनके बहादुरी व निर्णय क्षमता का प्रतीक हैं। उनकी कहानी आज भी सैन्य इतिहास और रणनीतिक अध्ययन के लिए प्रेरणास्रोत है।
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