अमिताभ बच्चन ने मुंबई में अपना बंगला
प्रतीक्षा बेटी श्वेता को दिया है इसे यदि
एक पिता और पुत्री के प्रेम और एक परिवार
के आंतरिक विषय के रूप में देखें तो बहुत
अच्छी बात है लेकिन फेमिनिस्ट के गिरोह ने
इसका महिमा मंडन आरंभ कर
दिया अमिताभ बच्चन एक अति धनवान व्यक्ति
है वह अपनी अकू संपत्ति में से बेटी को
बहुत कुछ दे सकते हैं उनके दो ही बच्चे
हैं और बेटी भी देश के एक बहुत बड़े
व्यापारिक घराने में ब्याही है उसे भी धन
संपत्ति की कोई कमी नहीं
है लेकिन बड़े लोगों के इस उदाहरण को जरा
मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों में
लागू करके देखिए उन परिवारों के बारे में
सोचिए जहां एक पिता अपनी कमाई से बे और
बेटे को समान शिक्षा देता
है बेटी के विवाह पर बेटे से ज्यादा व्यय
करता है कई बार उसे ऋण भी लेना पड़ता है
क्योंकि बेटी को भी वैसे ही विवाह करवाना
है जैसे अमुक फिल्मी अभिनेत्री अथवा अमुक
उद्योगपति की बेटी का हुआ प्री वेडिंग शूट
करवाना है सगाई हल्दी मेहंदी संगीत सब कुछ
फिल्मी स्टाइल में हजारों लाखों का लहंगा
खरीदना है मेकअप बुकिंग करवानी है बेचारे
माता-पिता अपनी बेटी की खुशी के लिए सब
कुछ करते
हैं अब मान लीजिए तीन या चार भाई बहन है
और सब अपना अपना हिस्सा मांगने लगे तो
क्या
होगा मकान बेचना पड़ेगा सबको बराबर का
हिस्सा मिल जाएगा लेकिन क्या उस पैसे से
किसी का भला
होगा चलो हिस्सा भी ले लिया फिर भाई दूज
राखी हरियाली तीज संक्रांति होली दिवाली
की सामाजिक रस्मों का क्या
होगा समाज में आज ऐसे ढेरों उदाहरण हैं
जहां बहने अपने भाइयों से मुकदमा लड़ रही
हैं विकट परिस्थितियों में भाई को
पुश्तैनी मकान बेचकर किराए के मकान में
रहना पड़ जाता है क्योंकि बहन को बराबर का
हिस्सा भी देना है
बहन तो एक बार ना भी मांगे लेकिन ससुराल
वाले मुकदमा करवा देते
हैं वर्ष 2004 में सत्ता में आते ही
सोनिया गांधी ने हिंदुओं को नष्ट करने के
लिए जो अभियान आरंभ किया था उत्तराधिकार
अधिनियम में संशोधन करके विवाहित बेटियों
को पिता की संपत्ति में अधिकार देना सबसे
प्रमुख था सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के
आड़ में हिंदू समाज के सुंदर और मधुर
पारिवारिक संबंधों को छिन्न भिन्न कर दिया
गया महिला समानता के नाम पर यह कुकर्म
केवल हिंदू समाज के साथ किया गया सोनिया
गांधी की बद नियती इसी से समझी जा सकती है
कि यह कानून मुस्लिम और ईसाई मजहब पर लागू
नहीं किया
गया हिंदू परिवार आज एक विचित्र संकट में
घिरे हुए हैं बेटियां ही नहीं बहुओं ने भी
घरों में संपत्ति को लेकर विवाद खड़े कर
रखे हैं तलाक इतने महंगे हो गए हैं कि लोग
बेटों का विवाह करने से डरने लगे हैं
संपत्ति पाने के लिए ससुर जेठ देवर ननद सब
पर यन शोषण के आरोप लगाना सामान्य है
लड़कों के आत्महत्या करने की घटनाएं हर
कुछ दिन पर सुनने को मिल रही
हैं एक समाज के रूप में हमें समझना होगा
कि हमारा परिवार आज हिंदू विरोधी शक्तियों
के निशाने पर है न्यायपालिका और सरकारें
जानबूझकर ऐसे काम कर रही हैं जिनसे परिवार
टूटे बेटियों को संपत्ति में हिस्सा देने
पर हिंदू समाज में कभी कोई बड़ा विवाद
नहीं रहा जिनके पास अमिताभ बच्चन और मुकेश
अंबानी की तरह अकूत संपत्ति है वे बेटियों
को बंगले और कंपनियां देते हैं तो उन्हें
कोई रोकता नहीं है लेकिन एक मध्यम वर्गीय
परिवार जिसने पाई पाई जोड़कर जीवन भर की
कमाई से घर बनवाया तो क्या वह अपने बेटों
बहू और उनके बच्चों के साथ उस घर में आराम
से अपना बुढ़ापा नहीं बिताना
चाहेगा बेटियां हिस्सा मांगेगी तो क्या वो
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