जाट महाराजा सूरजमल का सम्पूर्ण इतिहास/ Complete history of Jat Maharaja Surajmal
40 दिन घेराबंदी के बाद महाराजा सूरजमल ने जीता था आगरा किला; ताजमहल में भरवा दिया भूसा, उतरवाया था चांदी का दरवाजा
भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने 264 साल पहले 12 जून के दिन ही आगरा किले पर कब्जा किया था. 40 दिन की घेराबंदी के बाद साम, दाम, दंड, भेद से जाट सेना ने आगरा किले पर विजय पताका फहराई थी. इससे मुगलिया सल्तनत की नींव हिल गई थी. 13 साल तक मुगलों की शाही राजधानी आगरा पर जाट राजाओं का अधिकार रहा. तब महाराजा सूरजमल ने किले को गंगाजल से शुद्ध कराया था. ताजमहल में भूसा भरकर उसे घुड़साल बना दिया था. साथ ही किले से मुगलिया निशान भी मिटा दिए थे. इसी जीत की याद में पहली बार यूपी सरकार 'आगरा विजय दिवस' मना रही है. ऐसे में आइए जानते हैं, कैसे जाट राजा सूरजमल ने आगरा किले पर कब्जा किया?
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं, कि आगरा किला के खजाना से तब करीब 50 लाख रुपए, हाथी, घोड़ा, गोला, बारूद, तोप और बेशकीमती पत्थर मिले थे. इसे महाराजा सूरजमल ने भरतपुर भेज दिया था. आगरा किला के साथ ही ताजमहल के मुख्य गुम्मद में मुमताज की कब्र के पास से चांदी का दरवाजा उखाड़कर भरतपुर भेजा गया था. राजा सूरजमल ने ताजमहल में भूसा भरवा दिया था और उसे अपनी सेना का घुड़साल बना दिया था. मुगलिया सल्तनत में वे पहले गैर-मुस्लिम राजा थे, जिन्होंने आगरा किला जीता. जाट राजाओं ने करीब 13 साल तक आगरा पर राज किया था.
पहले जानें, कौन थे महाराजा सूरजमल:महाराजा सूरजमल का जन्म राजा बदन सिंह की रानी देवकी के गर्भ से 13 फरवरी 1707 को डीग के महलों में हुआ. महाराजा सूरजमल की कद काठी बहुत ही मजबूत थी. उनकी लंबाई साढ़े 7 फीट थी. महाराजा सूरजमल को दोनों हाथों से तलवार चलाने में महारत हासिल थी. उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 80 युद्ध लड़े थे. 25 दिसंबर 1763 को महाराजा सूरजमल ने दिल्ली की रक्षा के लिए मुगल और रोहिल्ला सेनाओं से शाहदरा (दिल्ली) में वीरतापूर्वक लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.
अलीगढ़ जीतकर आगरा भेजी विशाल सेना:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं, कि मुगल बादशाह औरंगजेब की सन् 1707 में मौत हुई थी. इसके बाद मुगलिया सल्तनत कमजोर हो गई. अमहद शाह अब्दाली ने मराठाओं को बुरी तरह से कुचला तो मराठा अपनी शक्ति बढ़ाने में लग गए. यही वो समय था, जब राजस्थान के भरतपुर में जाट राजा शक्तिशाली हुए. जाट राजा सूरजमल ने सबसे पहले भरतपुर के आसपास के क्षेत्र में कब्जा किया. इसके बाद अलीगढ़ को अधीन किया. अलीगढ़ पर जीत से सूरजमल ने अपनी सेना और राज्य का दायरा बढ़ाया.
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने अपनी किताब 'तवारीख-ए-आगरा' के पेज नंबर 144 पर लिखा है, कि जाट राजा सूरजमल ने अलीगढ़ में रुककर सेनानायक बलराम के नेतृत्व में 4000 सैनिकों की फौज 3 मई 1761 को आगरा किला पर कब्जा करने भेजी. बलराम ने आगरा किले के बाहर डेरा डाल दिया. तब आगरा किला में 400 मुगल सैनिक थे. किलेदार फाजिल खां ने डटकर मुकाबला किया. आगरा किला पर कब्जा होने में आ रही अड़चन को लेकर राजा सूरजमल को आगरा आना पड़ा.
40 दिन घेरेबंदी के बाद हुआ था किले पर अधिकार: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं, कि सेनानायक बलराम एक महीने तक आगरा किला की घेराबंदी करके बैठा रहा. मगर, आगरा किला पर अधिकार नहीं कर पाया. ऐसे में 4 जून 1761 को अलीगढ़ से जलेसर समेत अन्य रियासत पर कब्जा करते हुए राजा सूरजमल खुद आगरा आए. उन्होंने किला पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना में जोश भरा. मगर, आगरा किला पर कब्जा नहीं हुआ.
इस पर राजा सूरजमल ने शहर के बाहर रहने वाले आगरा किले के रक्षकों के परिवारों को बंधक बना लिया. इसके बाद सभी को आगरा किले के सामने खड़ा कर दिया. इससे आगरा किला के रक्षकों का मनोबल टूट गया. राजा सूरजमल ने साम, दाम, दंड, भेद से किलेदार फाजिल खां को बातचीत के लिए बुलाया. किलेदार फाजिल खां को एक लाख रुपए और 5 गांव देने का वादा किया. तब किलेदार फाजिल खां ने सरेंडर करके राजा सूरजमल को 12 जून 1761 को आगरा किला सौंप दिया. आगरा किले पर अधिकार के बाद राजा सूरजमल ने किलेदार फाजिल खां को न एक लाख रुपए दिए और न ही कोई गांव दिया.
गोला, बारूद और तोप सहित 50 लाख रुपए मिले: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं, कि किले पर कब्जे के बाद राजा सूरजमल की नजर यहां के खजाने पर गई. उन्होंने आगरा से मिले हाथी, घोड़े, गोला, बारूद, तोप और पत्थरों के सामान भरतपुर भिजवा दिए. आगरा किला के खजाने में तब 50 लाख रुपए मिले थे. इसे भी भरतपुर भिजवा दिया था. सूरजमल के समय ताजमहल को भी नुकसान पहुंचाया गया. जाट राजा के कहने पर ताजमहल के मुख्य गुंबद, जहां मुमताज की कब्र है, वहां पर लगा चांदी का दरवाजा उतरवाकर भरतपुर भेज दिया गया.
आगरा किला गंगाजल से किया था पवित्र:महाराजा सूरजमल ने आगरा किले पर अधिकार के बाद उसे शुद्ध कराया था. इस बारे में कई इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में विस्तार से लिखा है. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने अपनी पुस्तक 'भरतपुर का इतिहास' में लिखा है, कि महाराजा सूरजमल ने आगरा किला पर अधिकार के बाद किले में हवन कराया. गंगाजल से पवित्र कराया. इसके साथ ही आगरा किला के अंदर से सभी मुगल चिह्न हटवा दिए थे.
वीर गोकुला की निर्मम हत्या का लिया था बदला: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं, कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1 जनवरी 1670 को भरतपुर के वीर योद्धा गोकुला को बंधक बनाया था. योद्धा वीर गोकुला जाट को आगरा के कोतवाली क्षेत्र में बेरहमी से हत्या करवाई थी. उसकी खाल तक खिंचवाई थी. वीर गोकुला जाट की निर्मम हत्या से जाट समाज में आक्रोश था. आगरा किला पर महाराजा सूरजमल ने अधिकार करके वीर गोकुला की हत्या का बदला लिया था.
1774 में फिर हुआ मुगलों का अधिकार: वरिष्ठ इतिहासकार बताते हैं, कि 1763 में राजा सूरजमहल का निधन हो गया. जाट राजाओं की शक्ति भी कम होती चली गई. उस समय मुगलिया सल्तनत की गद्दी पर मुगल बादशाह शाह आलम बैठा था. बादशाह ने आगरा किला पर अधिकार करने की रणनीति बनाई. 1774 में मुगल सेना ने दोबारा आगरा किला पर अधिकार किया. इस तरह करीब 13 साल तक ही आगरा किला पर जाट राजाओं का अधिकार रहा.
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