क्या भगवान इतने कमजोर हैं कि उन्हें दूसरों से मदद मांगनी पड़ती है।
भगवान कमज़ोर है उसे अवतार लेके धरती पे आना पड़ता है, उसे लोगों से मदद मांगनी पड़ती है, इतना कमजोर भगवान कैसे हो सकता है ?
इसका जवाब भगवतगीता के अध्याय नंबर 3 के श्लोक नंबर 22 में मिलता है।
न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।।3.22।।
हे पृथापुत्र अर्जुन! मुझे तीनों लोकों में कोई भी कार्य करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे किसी चीज की कमी नहीं है, न ही मुझे कुछ पाने की आवश्यकता है - फिर भी मैं कर्मों में लगा रहता हूँ। 3/22
हिंदुओं के साथ धर्मांतरण के इरादे से किए जाने वाले ऐसे ही फालतू के कुतर्कों का जवाब देने के लिए हिंदुओं को अपने धर्मग्रंथ पढ़ने की आवश्यकता है। जिससे कोई भी आपको बहका कर अपने धर्म में कन्वर्ट न कर सके। धर्मग्रंथ पढ़ने की शुरुआत आपको भगवतगीता से करनी चाहिए क्योंकि भगवतगीता सभी वेदों का सार है। केवल भगवतगीता पढ़कर भी आप अधिकतर सवालों के जवाब देने में सक्षम हो जाओगे।
भगवतगीता आपको हमारी वेबसाइट में सबसे नीचे कैटेगरी वाले भाग में "पुस्तक" की कैटेगरी में मिल जाएगी।
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