कश्मीर से जुड़ा यह ऐसा सच है जिसे कम ही
लोग जानते हैं इस इतिहास को सरकारों ने
छिपा कर रखा यह घटना है भारत के विभाजन का
ठीक दो महीने बाद यानी अक्टूबर 1947 कि
कश्मीर भारत के हिस्से में आया था वहां के
महाराजा मेहर सिंह सैकड़ों ट्रकों में
सवार पाकिस्तानी सेना और कबायलियों ने
कश्मीर पर हमला कर दिया है कश्मीर में
डोगरा सेना के कमांडिंग ऑफिसर थे कर्नल
नारायण सिंह उनकी सेना भी तैयार थी लेकिन
मुश्किल एक ही थी कि उनकी सेना में
मुसलमानों की अच्छी खासी संख्या थी नारायण
सिंह को कई लोगों ने समझाया कि पाकिस्तानी
फौज से लड़ते समय डोगरा सेना के मुस्लिम
अफसरों और जवानों को न भेजा जाए लेकिन
नारायण सिंह ने बात नहीं मानी उन्होंने
कहा कि मुस्लिम जवान भी कश्मीरी हैं और वह
किसी भी हालत में मित्रों नहीं कर सकते
यही भरोसा उन्हें ले डूबा लड़ाई की पहली
ही रात डोगरा रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट
कर्नल मोहम्मद असलम खान कि कश्मीर के राजा
से खरीदारी कर दी उसने कर्नल नारायण सिंह
की हत्या कर दी साथी पूरी डोगरा कंपनी को
मौत के घाट उतार दिया पाकिस्तानी
घुसपैठियों के साथ मिलकर उन्होंने कश्मीर
का पहला मोर्चा फतह कर लिया है इसके बाद
मीरपुर में लगभग 20,000 कश्मीरी हिंदुओं
का नरसंहार किया गया है राजा हरि सिंह की
सेना के मुस्लिम सिपाहियों ने सैकड़ो
हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया और
मीरपुर कलेक्ट्रेट पर पाकिस्तान का झंडा
फहरा दिया यह सब होता रहा लेकिन राजा हरि
सिंह को इस धोखे की खबर तक नहीं लगी
उन्होंने डोगरा सेना के एक और कर्नल
रहमतुल्लाह और मेजर नसरुल्लाह को राजौरी
क्षेत्र को बचाने के लिए भेजा कर्नल
रहमतुल्लाह और मेजर नस्रुल्लाह ने भी वही
किया जो मीरपुर में असलम खान कर चुका था
राजौरी में डोगरा सेना के सारे गोरखा
सैनिक अपने ही सेना के हाथों मार डाले गए
हैं भारत और महाराजा हरिसिंह से भंडारी और
हजारों हिंदुओं के अत्याचार और बलात्कार
के बदले में पाकिस्तान ने मोहम्मद असलम
खान को फक्र कश्मीर और हिलाले में का तमगा
दिया कर्नल रहमतुल्लाह बाघ ने पाकिस्तानी
सेना में ब्रिगेडियर बनकर रिटायर हुआ
इतिहास का यह वह सबक है जो आज भी याद रखने
की जरूरत है ताकि सेक्युलरिज्म के नाम पर
आपको यह देश के साथ गद्दारी करने के लिए
हिम्मत न कर पाए हैं
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