भारत के इतिहास में कुछ ऐसे गद्दार हुई
जिन्होंने भारत को अंग्रेजन और विदेशी
टैक्टर का गुलाम बने पर मजबूर कर दिया
धोखा विश्वासघात यह कुछ ऐसे शब्द है जो
सबसे ताकतवर साम्राज्य को भी तबाह करने की
ताकत रखते हैं क्योंकि अगर हमारा कोई अपना
जो हमारी कमजोरी और ताकत के बड़े में
अच्छे से जानता है अगर वही हमारे साथ धोखा
कर दे तो ऐसी जंग को जीत पन लगभग नामुमकिन
हो जाता है और इस तरह ऐसे साम्राज्य को भी
खत्म किया जा सकता है जो कभी हरे ना हो
ऐसा ही कुछ हमारे अखंड भारत के साथ भी हुआ
दोस्तों जरा सोच कर देखिए एक ऐसे भारत के
बड़े में जो कब भी अंग्रेजन का गुलाम ना
हुआ होता या फिर जी पर कभी भी मुगलो का
अधिकार ना हुआ होता या फिर आजादी के बाद
भारत का कभी बटवारा ना हुआ होता यह बातें
सुनने में काफी दिलचस्प लगती है पर आपको
बता डन की भारत के कुछ गद्दार अपनी मिट्टी
से वफादारी दिखाई तो शायद इन सभी चीजों को
ताला जा सकता था तो आज के इस वीडियो में
मैं आपको भारतीय इतिहास के ऐसे पांच
गद्दारों के नाम बताने वाला हूं जिनके करण
सोनी की चिड़िया कहा जान वाला हमारा भारत
कई 100 सालों तक मुगलो और अंग्रेजन का
गुलाम बनकर रहा और इन्हीं गद्दारों के करण
करोड़ भारतीयों को अपनी जान गवनी पड़ी और
लाखों करोड़ लोगों ने गुलामी के दौरान
विदेश के अत्याचार रहे दोस्तों एक समय पर
हमारा भारत इतना ताकतवर था की पुरी दुनिया
को एक समय पर जितने वाले सिकंदर को भी
भारत से बाहर कर जाना पड़ा भारत की इसी
ताकत के करण कई 100 सालों तक दूसरे राजाओं
की भारतीय राजाओं के सामने आंख उठाने की
भी हिम्मत नहीं हुई पर सम्राट अशोक और
उनके वंशजों के बाद भारत का समय धीरे-धीरे
बदलने लगा और नए भारतीय राजाओं को केवल
सत्ता की भूख ने पुरी तरह अंधा कर दिया
जिसके पास समय समय पर भारत में कई ऐसे
गद्दार पैदा हुए जिन्होंने अपने ही देश को
बेचे में भी डेरी नहीं की और भारत के लिए
एक कलंक बन गए नंबर एक मीर जफर दोस्तों
जैसा की मैंने वीडियो की शुरुआत में कहा
था की क्या होता अगर भारत पर कभी अंग्रेजन
का अधिकार ना हुआ होता तो यह बात सच साबित
हो शक्ति थी अगर मीर जफर अंग्रेजन का साथ
देकर राजा सिराजुद्दौला को धोखा ना देता
तो चलिए डिटेल में बताता हूं मीर जफर 1757
से 1760 तक बंगाल का नवाब था लेकिन उसे यह
गाड़ी उसकी मेहनत से नहीं बल्कि धोखे से
मिली थी और हम यह का सकते हैं की उसने इस
गाड़ी के लिए इस पूरे देश की सत्ता को
अंग्रेजों के हाथों में सोप दिया शुरू में
मीर जफर सिराजुद्दौला का सेनापति था पर वो
दिन रात एक ही सपना देखा था की वो कब
बंगाल का नवाब बनेगा इसीलिए मौका मिलने पर
उसने चपरासी के युद्ध में रॉबर्ट क्लाइव
के साथ मिलकर एक रणनीति बनाई जहां रॉबर्ट
क्लाइव ने मीर जफर को बंगाल का नवाब बने
का लालच दे दिया जिसके बाद उसने अपने ही
राजा सिराजुद्दौला के खिलाफ विद्रोह कर
दिया और अंग्रेजन के सी के साथ मिलकर उसने
सिराजुद्दौला को युद्ध में हर दिया युद्ध
जितने पर उसे अंग्रेजन द्वारा बंगाल का
शासन तो बना दिया गया पर कुछ समय शासन के
बाद अंग्रेजन ने उसे भी नहीं छोड़ और 1764
बक्सर के युद्ध में अंग्रेजन ने उसे भी
मार डाला और यहां पर भी अंग्रेजन का साथ
एक और गद्दार शासन मीर कासिम ने दिया वह
बात अलग है की अंग्रेजन ने उसे भी कुछ समय
बाद मारवा दिया नंबर दो चंद कन्नौज राज्य
का राजा जयचंद राठौर राजवंश से आता था
जिनकी महान राजा पृथ्वीराज चौहान के साथ
एक पुरानी दुश्मनी थी और इस दुश्मनी के
करण
इन दोनों के राज्यों के बीच कई बड़े युद्ध
भी हुए लेकिन लगभग सभी युद्ध में
पृथ्वीराज चौहान जीते एक समय ऐसा भी आया
जब इन दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित
करने के लिए महाराजा पृथ्वीराज ने जयचंद
की बेटी संयुक्त से विवाह किया जिसके बाद
पृथ्वीराज ने तो अपनी दुश्मनी भूल दी थी
और जयचंद को अपने दाहिने हाथ की तरह मां
लिया था लेकिन जयचंद कभी भी पृथ्वीराज
अपने दुश्मनी नहीं भूल सका और मां ही मां
उसने पृथ्वीराज से बदला लेने की सूची और
यह मौका उसे मोहम्मद गौरी के रूप में मिला
भी जब उसने दिल्ली की सत्ता के लालच में
मोहम्मद गौरी का साथ दिया और युद्ध में
अपने राज्य की सी को पृथ्वीराज के खिलाफ
खड़ा कर दिया तब इस युद्ध में पृथ्वीराज
की हर हो गई पर जयचंद को भी अपने कर्मों
की सजा मिली क्योंकि गौरी ने युद्ध जितने
के बाद राजा जयचंद को भी मार दिया राजा
जयचंद की पृथ्वीराज से गद्दारी को देखते
हुए उसे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा
गद्दार भी कहा जाता है क्योंकि इस राजा
जयचंद की गद्दारी के बाद मोहम्मद गौरी ने
पूरे भारत में इस्लामिक शासन की शुरुआत की
और धीरे-धीरे इस्लामिक शासन भारत के दूसरे
राज्यों में फैलता चला गया शायद इसीलिए
जयचंद के धोखे को देखते हुए आज के समय
किसी भी धोखेबाज के लिए जयचंद का नाम किसी
गली की तरह है और जयचंद की गद्दारी पर एक
मुहावरा भी काफी फेमस है जिसमें कहा गया
है की जयचंद तूने देश को बर्बाद कर दिया
गैरों को लाकर हिंद को आबाद कर दिया नंबर
तीन मानसिंह महाराणा प्रताप इस देश के
सबसे महान राजाओं में से एक है जिन्हें
हरण दुश्मनों के लिए लगभग नामुमकिन था
महाराणा प्रताप अखंड भारत में मुगलो के
खिलाफ इकलौती ऐसी दीवार बनकर खड़े हुए थे
जो भारत में मुगल शासन को आने से रॉक
शक्ति थी पर अजमेर राज्य के राजा मानसिंह
ने देश की मिट्टी के लिए लड़ने के बजाएं
लोगों का साथ दिया और मुगलो को भी पता था
की राजा मानसिंह को भारत की परिस्थितियों
में लड़ने का काफी अच्छा अनुभव है इसीलिए
मुगलो ने मानसिंह को अपनी सी का प्रमुख
बनाया हुआ था मानसिक के गद्दारी के करण
समय समय पर महाराणा प्रताप को कई जानलेवा
हमले का सामना भी करना पड़ा जिसके करण कई
समय तक महाराणा प्रताप को अपना समय जंगलों
में गुजरा पड़ता था इस दौरान भी वह हमेशा
मुगलो को हारने के लिए रणनीति बनाते रहते
थे उन्होंने इस दौरान काफी मुश्किल समय भी
काटा है यहां तक की उन्हें घास की रोटियां
तक खानी पड़ी पर यह जंगल में रहना उनके
लिए किसी तपस्या की तरह साबित हुआ और जब
वह जंगल से बाहर आए और उन्होंने अपनी सी
कठे की तो अब वह पहले से भी ज्यादा ताकतवर
थे इसीलिए जब महाराणा प्रताप और मुगलो के
बीच हल्दी घाटी का युद्ध लाडा गया तब
मुगलो के सेनापति बने राजा मानसिंह को
महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य के चलते
युद्ध से हर दिया और मानसिंह को उसके
गद्दारी के लिए मार दिया जिसके बाद लंबे
समय तक अकबर को भी महाराणा प्रताप से
छुपकर रहना पड़ा था नंबर
को भी भारत के सबसे बड़े गद्दार में से एक
कहा जाता है क्योंकि यही वह गद्दार था
जिसने असेंबली बम कांड में भगत सिंह के
खिलाफ गवाही दी थी और इसी गद्दार की
सरकारी गवाही के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने
भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी
सरकार ने फैंसी की सजा सुने थी इसके अलावा
फानेंद्र नाथ ने सरकारी गवाह बनकर पंडित
आजाद के व की भी पहचान की थी कई बार तो यह
भी सामने
और स्वतंत्रता संग्रामियों के खिलाफ एक
मोहरे की तरह झूठी गवाही देने के लिए
प्रयोग किया था और ना जान किन लालच के करण
फणींद्रनाथ ने अपने ही दोस्त और अपने ही
देश के साथ गद्दारी की पर नींद नल के
गद्दारी ही उसकी मौत की वजह भी बनी
क्योंकि जय से भाग कर भगत सिंह के साथ
योगेंद्र शुक्ला वी गुलामचंद्र ने 1932
में दिवाली की रात खुफिया तरीके से गद्दार
फणींद्रनाथ की हत्या करवा दी और इस हत्या
को अंजाम योगेंद्र शुक्ला के भतीजे
बैकुंठुगलन ने दिया कहा जाता है की बाइकों
की सुगर ने फणींद्र को उसकी गद्दारी के
लिए काफी ब्राह्मी से मारा था या फिर कहूं
की इतना घायल कर दिया था की कई हफ्तों तक
अस्पताल में भारती रहने के बाद तड़पते हुए
फानेंद्र की काफी पीड़ा सहने के बाद मौत
हो गई वैसे छह जुलाई 1933 में बैकुंठ
शुक्ला को हाजीपुर पुल से गिरफ्तार कर
लिया गया जिसके बाद अंग्रेजन ने इन्हें भी
फैंसी पर मटका दिया नंबर पांच कांग्रेस
पार्टी कांग्रेस पार्टी का भारत को आजादी
दिलाने में एक हम रोल रहा है और इससे मैं
इनकार भी नहीं करता लेकिन इसमें भी कोई शक
नहीं किया जा सकता की इस कांग्रेस पार्टी
के कई लीडर्स ने इतिहास में भारत को कई
गाव दिए हैं अब आप उन्हें गद्दार कहिए या
फिर उन्हें लीडरों की योगिता या आपके ऊपर
है लेकिन भारत को धर्म के नाम पर
पाकिस्तान और भारत जैसे दो अलग-अलग हसन
में बांट देना इसके अलावा सही समय पर
कश्मीर में अपनी सी भेज कर पाकिस्तान सी
को पीछे ना धकेलना यहां तक की चीन के हमला
करने पर उन्हें तुरंत जवाब ना देना यह
कांग्रेस लीडर से या फिर कहूं की हमारे
पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ऐसी
कई गलतियां हैं जिनके परिणाम आज तक भारत
भगत रहा है वरना आप ही बताइए क्या किसी
देश को उसमें रहने वाले लोगों के धर्म के
आधार पर बांटना सही है और अगर आप ऐसा
सोचते हैं तो सोच कर देखिए अगर आज के समय
भी भारत में रहने वाले अलग-अलग धर्म के
लोग भारत के हसन का बंटवारा करने लगे तो
भारत के कितने हिस हो जाएंगे आपको इसी
सवाल से आपका जवाब मिल जाएगा की पाकिस्तान
अफगानिस्तान बांग्लादेश जैसे अखंड भारत के
हसन का भारत से अलग होना भारत के लिए
कितनी बड़ी चोट थी और यह कई बार साबित हो
चुका है की अगर कांग्रेस पार्टी चाहती तो
आजादी के समय इस बटवारे को रॉक शक्ति थी
पर यह बटवारा हुआ और बंटवारे के कागजों पर
जवाहरलाल नेहरू ने खुद साइन किया थे तो
दोस्तों आशा करता हूं की आज के इस वीडियो
से भी आपको काफी कुछ नया सीखने को मिला
होगा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप
मुझे कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं।
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